परीक्षा के तनाव से कामयाबी का परचम लहराने तक

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नई दिल्ली : चुनौतियों से भरे शै‍क्षणिक परिदृश्य में, जहां परीक्षाएं किसी ऊंचे पर्वत शिखर पर चढ़ने के समान दुसाध्‍य प्रतीत होती हों, तो ऐसे हालात में तनाव से घिरना अपरिहार्य सा हो जाता है। पर्वत पर चढ़ने की परिकल्पना किसी ऐसी कठिन यात्रा के रूप में कीजिए, जिसमें हर कोई उम्मीदों की भारी गठरी लादकर चल रहा है। ऐसे में हमउम्र साथियों का समर्थन एक ही चढ़ाई के सहचर के समान होता है, जिससे यात्रा की चुनौतियां कम हो जाती हैं।

कल्पना कीजिए कि आप कदम से कदम मिलाते हुए एक साथ उस पहाड़ पर चढ़ रहे हैं। अनुभवों के आदान-प्रदान के इर्द-गिर्द घूमता हमउम्र साथियों का समर्थन इस विश्वास पर आधारित है कि चुनौतियों पर जीत हासिल कर चुके लोग दूसरों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। शिक्षा संबंधी चुनौतियों के कारण होने वाले तनाव को दूर करने में दोस्‍तों की यह मदद बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो सफलता की मुश्किल भरी राह पर मार्गदर्शक का कार्य करती है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी अपनी पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ में प्रत्येक विद्यार्थी को “चिंतातुर नहीं, योद्धा बनने के लिए” प्रोत्साहित करते हैं। कथानक तब स्‍पष्‍ट होता है जब प्रत्येक विद्यार्थी योद्धा की भूमिका अपनाकर शैक्षणिक चुनौतियों पर जीत हासिल करता है। हालांकि, इस यात्रा में हमारे कुछ साथी योद्धाओं को परीक्षा के दौरान अत्यधिक तनाव और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिस तरह योद्धा होने का आशय निजी चुनौतियों से निपटना है, उसी तरह इसका आशय अपने दोस्‍तों की ओर मदद का हाथ बढ़ाना भी है। कंधे से कंधा मिलाकर चलना, यात्रा में एक-दूसरे की मदद करना और साथी योद्धाओं के लिए इस यात्रा को आसान बनाना सामूहिक शक्ति होने का आवश्यक पहलू है। परीक्षा योद्धाओं की भावना में, हम सभी के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि हम केवल स्‍वयं के लिए ही नहीं, बल्कि अपने साथी योद्धाओं के लिए भी योद्धा की भावना को अपनाएं,  ताकि चुनौतीपूर्ण समय में सहयोगपूर्ण और सं‍गठित मोर्चा तैयार हो सके।”

जीवन के समान अनुभव वाले व्यक्तियों की सहायता के रूप में परिभाषित हमउम्र साथियों का समर्थन, विभिन्न संदर्भों में काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है। इसके सिद्धांत इस धारणा पर आधारित हैं कि प्रतिकूल परिस्थितियों पर जीत हासिल करने वाले लोग, अपने समान चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य लोगों को विशिष्‍ट अंतर्दृष्टि, प्रोत्साहन और आशा प्रदान कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में, साथियों का समर्थन प्राचीन प्रथा रही है, जो इसे शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़े अलग-अलग तरह के तनावों को दूर करने में उपयुक्‍त और कारगर दृष्टिकोण बनाती है।

साथियों का सहयोग मिलने के बहुआयामी लाभ हैं जिनमें व्‍यापक अधिकार प्रदान करना, सामाजिक समर्थन, सहानुभूति, लांछनों में कमी, आशा और प्रेरणा देना शामिल है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लांछनों और सामाजिक तौर पर अलग-थलग पड़ने जैसी कठिनाइयों को दूर करने के लिए व्यक्तियों को सशक्त बनाने से आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ता है- जो मौजूदा शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण घटक हैं।

परीक्षा के दौरान शैक्षणिक तनाव के संदर्भ में देखा जाए तो साथियों के सहयोग से व्‍यावहारिक रूप से मदद मिलती है। दूसरों के अनुभवों से सीखना एक बहुमूल्‍य गुण बन जाता है क्योंकि मित्र परीक्षा का तनाव कम करने के लिए प्रक्रियाओं और नियोजित रणनीतियों के बीच तालमेल बिठाते हैं। स्कूल या कॉलेज में समान परिस्थितियों का सामना कर रहे वरिष्ठ सहपाठी, मार्गदर्शन और समर्थन के लिए मूल्यवान संसाधनों के रूप में काम करते हैं।

इसके अलावा, साथियों के सहयोग से विचारों में जो स्पष्टता मिलती है वह किसी भी परीक्षा से पहले के दिनों में विशेष रूप से बहुमूल्य हो जाती है जब भ्रम और चिंता अक्सर स्पष्ट सोच में बाधा बनती है। भावनाओं को व्यक्त करने की जगह, साथियों का सहयोग प्रदान करना विचारों और भावनात्मक स्पष्टता को सुलझाने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे परीक्षा के तनाव से जुड़ी अलग-थलग पड़ने की भावना अक्सर कम हो जाती है।

जबकि साथियों का सहयोग परीक्षा के समय तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, एक सहयोगपूर्ण वातावरण बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता होती है। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के आपसी संबंध को पहचानते हुए, संस्थानों को अपने छात्रों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

इसके अलावा, संस्थागत ढांचे में साथी सहायता कार्यक्रमों को जोड़ने से छात्रों का भरोसा बढ़ता है। साथी सहयोग सत्रों के लिए निर्दिष्ट स्थान बनाना और इन संसाधनों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित करता है कि छात्र सहायता के लिए उपलब्ध तरीकों से अवगत हैं।

परीक्षा के समय साथियों की अधिक सहायता करना व्यक्तिगत रूप से छात्रों की ही जिम्मेदारी नहीं है अपितु मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ बनाने वाले परिवेश को प्राथमिकता देने में शैक्षिक संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच परस्पर जुड़े हुए संबंध को स्वीकार करते हुए संस्थान अपने छात्रों के समग्र विकास में योगदान करते हैं। संस्थान उन्हें न केवल शैक्षणिक चुनौतियों के लिए बल्कि जीवन में मिलने वाले व्यापक अनुभवों के लिए भी मानिसक रूप से तैयार करते हैं।

मैं अपने सभी युवा मित्रों से उत्साहपूर्वक यह अपील करता हूं कि वे भविष्य के संदर्भ में न तो कोई तनाव लें और न ही दूसरों की उपलब्धियों से अपनी तुलना करें। किसी दूसरे के मार्ग पर चलने का प्रयास करना पहले से निर्धारित मार्ग का अनुसरण करने जैसा है, इसकी बजाय, अपनी नई दिशा चुनें। आईए प्रधानमंत्री मोदी की ‘परीक्षा योद्धा’ में दिए गए 26 मंत्र की शिक्षा का पालन करते हुए, ऐसे विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें प्राप्त करने के लिए हम बिना किसी अनावश्यक तनाव के आगे बढ़ें: “एक आदर्श लक्ष्य को किसी दबाव से नहीं बल्कि पूर्ण उत्साह और प्रेरणा से प्राप्त किया जाता है।”

समय के करीब आने के साथ ही, देश इस वर्ष के ‘परीक्षा पे चर्चा’ संस्करण की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और प्रोत्साहन भाव को साझा करते देखना उत्साह का एक अभूतपूर्व क्षण होता है। यह एक ऐसे आयोजन में सहभागिता की सामूहिक उत्सुकता है जो न केवल परीक्षा की तैयारी की चुनौतियों का समाधान करता है बल्कि व्यक्तियों को उनकी शैक्षणिक यात्रा के लिए प्रेरित और सशक्त भी बनाता है। परीक्षा पे चर्चा के लिए करीब आने वाला समय हमारे छात्रों के लिए आशा, एकता के साथ-साथ सकारात्मक और सहायक वातावरण तैयार करने की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है। राष्ट्र एक समृद्ध अनुभव के लिए तैयार है और इस असाधारण एवं प्रभावशाली चर्चा से निकलकर आने वाले ज्ञान और प्रेरणा की व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहा है।

लेखक : डॉ. सुभाष सरकार, शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार

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