एम्स ऋषिकेश के तंत्रिका शल्य चिकित्सा के विशेषज्ञों की बड़ी सफलता, 82 वर्षीया बुजुर्ग महिला के ब्रेन ट्यूमर की सफल सर्जरी, नाजुक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया में उल्लेखनीय सफलता की हो रही प्रशंसा 

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ऋषिकेश : एम्स, ऋषिकेश के चिकित्सा विशेषज्ञों ने ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित एक 82 वर्षीया बुजुर्ग महिला की जटिलतम सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अपने आप में यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, जो कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और विशेषज्ञों की दक्षता से ही संभव हो पाया है। इस अप्रतिम सफलता के लिए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने चिकित्सकीय टीम को बधाई दी है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह के कुशल मार्गदर्शन में न्यूरो सर्जनों की एक कुशल टीम द्वारा किए गए सफल ऑपरेशन से रोगी को मिले नवजीवन और जीवन शक्ति की दिशा में रोगी की जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।

केस से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार बीते माह में की गई यह सर्जरी महिला के मस्तिष्क में एक बड़े ट्यूमर से मरीज को राहत दिलाने के कारण आवश्यक हो गई थी। बताया कि इस बीमारी से रोगी को गंभीर सिरदर्द, संज्ञानात्मक हानि और चलने-फिरने में कठिनाई, दुर्बलता व लकवा जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा था। महिला अपने दैनिक कार्य करने में असमर्थ थी I ऐसी स्थितियों वाले बुजुर्ग मरीजों के ऑपरेशन से अत्यधिक जोखिम व चुनौती के बावजूद, एम्स, ऋषिकेश की मेडिकल टीम ने दृढ़ संकल्प और विशेषज्ञता के साथ इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया। एम्स ऋषिकेश के तंत्रिका शल्य चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने उम्र के लिहाज से अत्यधिक बुजुर्ग मरीज से जुड़ी इस चुनौति को न सिर्फ स्वीकार किया और इस अत्यधिक जटिल कार्य को सफलता के साथ अंजाम तक पहुंचाया।

प्रोफेसर मीनू सिंह

इस उपलब्धि पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि “एम्स, ऋषिकेश में हम अपने सभी रोगियों को उच्चतम गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सफल सर्जरी उस प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित व्यक्ति की बीमारी की वजह से उनके पारिवारिकजनों के लिए यह समय बेहद परेशानी वाला और चुनौतिपूर्ण होता है। ऐसे में इस जटिलतम केस को सफलतापूर्वक अंजाम देने में हमारे चिकित्सकों ने जो कामियाबी हासिल की, यह हमारे लिए भी गर्व की बात है कि हम लोग किसी मरीज को जीवनदान देने के साथ ही उनके परिवार को इस स्थिति से उबारने का माध्यम बन सके।“

निदेशक प्रो. मीनू सिंह के अनुसार एम्स न्यूरो सर्जिकल रोगियों को दुनिया के किसी भी बड़े शहर के बराबर बेहतर उपचार व देखभाल प्रदान करने के लिए नवीनतम सर्जिकल तकनीकों और गैजेट्स से लैस है। एम्स में न्यूरो सर्जरी विभाग पूरी तरह से इंट्रा-ऑपरेटिव सीटी स्कैन, न्यूरो-एंडोस्कोपी और नेविगेशन सिस्टम से सुसज्जित है, जो देश में किसी भी न्यूरोसर्जिकल सुविधा के बराबर होने के लिए इस प्रकार की सर्जरी के लिए आवश्यक है।

संस्थान की डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने वृद्ध रोगियों के लिए सफल परिणाम हासिल करने के लिए न्यूरो-सर्जिकल और न्यूरो-एनेस्थीसिया टीम को बधाई दी। कहा कि यह एक बड़ी चुनौती था, जब परिवार का कोई सदस्य इतनी अधिक उम्र में मरीजों की सर्जरी से इनकार करता है, तो यह जानना जरूरी है कि 2021 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय महिलाओं की औसत जीवित रहने की दर 68.9 वर्ष है।  साथ ही प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने वृद्धा का ऑपरेशन कराने के परिवार के फैसले की सराहना की।

डॉक्टर जितेंद्र चतुर्वेदी

डॉ. जितेन्द्र चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में न्यूरो-सर्जिकल टीम ने आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान के जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर को हटाने के लिए रोगी के मस्तिष्क के ग्रसित भाग को सावधानीपूर्वक नेविगेट किया। उन्होंने बताया कि 5 घंटे तक चली इस जटिल तंत्रिका शल्य चिकित्सा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अपने अंजाम तक पहुंचाने के लिए सटिकता, कौशल और न्यूरोसर्जिकल सिद्धांतों की गहरी समझ की नितांत आवश्यकता थी। जो कि इस जटिलतम सर्जरी को सफलता से अंजाम देकर व बुजुर्ग महिला को जीवनदान देकर एम्स के विशेषज्ञों ने साबित कर दिया है।

सर्जरी के सफल परिणाम के बाबत जानकारी देते हुए न्यूरो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी और न्यूरोएनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख प्रोफेसर  (डॉ.) संजय अग्रवाल ने मरीज के प्रभावशाली इच्छा शक्ति और मेडिकल टीम के सहयोगात्मक प्रयासों की प्रशंसा की। न्यूरो सर्जन डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी का कहना है, “मुझे शल्य चिकित्सा के उच्चतम मानक की देखभाल प्रदान करने के लिए हमारी टीम के समर्पण और प्रतिबद्धता पर बेहद गर्व है।”

न्यूरोएनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) संजय अग्रवाल ने बताया कि “ट्यूमर की सफल सर्जरी न केवल एक चिकित्सकीय कार्यों में विजयी होने को प्रामाणिक करता है, बल्कि स्वयं में हमारे मरीज की ताकत और दृढ़ता का भी प्रमाण है। इसी के साथ हमने सर्जरी के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती, और हमें सफल सर्जरी पर अपनी न्यूरो-एनेस्थीसिया टीम की सफलता की प्रसन्नता है” सर्जरी के बाद, मरीज वर्तमान में अस्पताल के चिकित्सा कर्मचारियों की सावधानीपूर्वक देखभाल के तहत स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। इसकी प्रारंभिक रिपोर्टें अनुकूल पूर्वानुमान का संकेत देती हैं, जिसमें रोगी में सुधार के लक्षण और आशावादी दृष्टिकोण दिखाई दे रहा है।

इस सर्जरी की उल्लेखनीय सफलता समान चिकित्सा चुनौतियों से जूझ रहे रोगियों और परिवारों के लिए आशा की किरण के रूप में काम करती है। यह न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में जो हासिल किया जा सकता है उसकी सीमाओं को आगे बढ़ाने में उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी, चल रहे अनुसंधान और स्वास्थ्य पेशेवरों के अथक प्रयासों की अमूल्य भूमिका को रेखांकित करता है।

सोशल मीडिया पर सफलता की प्रशंसा, चिकित्सकों की कृतज्ञता

अपने तरह की जटिलतम सर्जरी को शतप्रतिशत सफलता के मुकाम तक पहुंचाने वाले चिकित्सक डॉ जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि अत्यधिक बुजुर्ग महिला की सफल सर्जरी की जानकारी जैसे ही लोगों को प्राप्त हुई, जनसामान्य की ओर से इस सफलता के समर्थन और शुभकामनाओं का सिलसिला दर सिलसिला शुरू हो गया। खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चिकित्सकीय टीम के प्रोत्साहन और कृतज्ञता के संदेशों की बाढ़ आ गई है, जिनमें से कई लोगों ने मरीज के साहस और मेडिकल टीम के असाधारण कौशल की प्रशंसा की है।अक्सर अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में, इस सर्जरी का सफल परिणाम जीवन के प्रति आशा और प्रेरणा की किरण प्रदान करता है। साथ ही यह इस विश्वास की पुष्टि भी करता है कि सबसे कठिन चिकित्सा चुनौतियों को भी दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और जिम्मेदारी के साथ पेशेंट की बेहतर देखभाल से दूर किया जा सकता है।

डॉ. जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि समाज को बुजुर्ग मरीजों को सिर्फ उनकी उम्र के कारण नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर इस तरह के मामलों में मरीज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श व उन्हें केस से अवगत कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक किए जाने पर न्यूरो सर्जरी अच्छे परिणाम के साथ की जा सकती है।

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