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देहरादून : चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को उत्तर प्रदेश, भारत के मेरठ जनपद के गाँव नूरपुर में हुआ था, जो अब हापुड़ जनपद में है। उनके पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह का विवाह सन 1929 में हरियाणा की गायत्री देवी के साथ हुआ। इन दोनों के पांच संताने हुईं। सन 1923 में में चरण सिंह ने विज्ञान विषय में स्नातक किया और दो वर्ष बाद सन 1925 में उन्होंने ने कला वर्ग में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से क़ानून की पढ़ाई की और फिर विधि की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सन 1928 में गाज़ियाबाद में वक़ालत आरम्भ की थी।
- वकालत के दौरान, चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष उन्हें न्यायपूर्ण प्रतीत होता था।
- सन 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान ‘नमक कानून’ तोड़ने में चरण सिंह को 6 महीने की सजा सुनाई गई। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने स्वयं को देश के स्वतन्त्रता संग्राम में पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।
- सन 1940 में गांधीजी द्वारा किये गए ‘व्यक्तिगत सत्याग्रह’ में भी चरण सिंह को गिरफ्तार किया गया जिसके बाद वे अक्टूबर 1941 में रिहा किये गये।
- वे उत्तरप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं. गोबिन्दबल्लभ पन्त के पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी थे। लालबहादुर शास्त्री भी उनके साथ थे।
- कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रस्तावित सहकारी खेती का विरोध किया था।
- जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए उन्होंने राजकीय नौकरी में वरीयता उन्हें देने का प्रस्ताव किया था जो युवक अनुसूचित जाति के साथ विवाह करें।
- चौधरी चरण सिंह स्वतंत्र भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में 28 जुलाई, 1979 को पद पर आसीन हुए।
- भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। वे मात्र 5 महीने और कुछ दिन ही देश का प्रधानमंत्री रह पाए और बहुमत सिद्ध करने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया।
- प्रधानमंत्री बनने से पूर्व उन्होंने भारत के गृह मंत्री, वित्त मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया।
- वे मेरठ जिले के छपरौली विधानसभा क्षेत्र से लगातार 8 बार विधायक रहे।
- वे दो बार उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे और उसके पूर्व उन्होंने अनेक मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला था, जिनमे राजस्व, कृषि,सहकारिता और वन विभाग प्रमुख थे।
- प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले सम्बोधन में चौधरी चरण सिंह ने कहा था- “गरीबी को हटाना एवं हर एक नागरिक को जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध कराना आवश्यक है।”
- चौधरी चरण सिंह राजनीति में स्वच्छ छवि रखने वाले ईमानदार नेता थे। वह गांधीवादी विचारधारा में आस्था रखते थे।
- चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व गरीबों को ऊपर उठाने की थी। उनका यह मत था कि बगैर किसानों को खुशहाल किए देश का विकास नहीं हो सकता।
- चौधरी चरण सिंह की मेहनत के कारण ही ‘उप्र जमींदारी उन्मूलन विधेयक’ 1952 में पारित हो सका।
- चौधरी चरण सिंह की मृत्यु 29 मई 1987 को दिल्ली में हुई।
- एक राजनेता के साथ चौधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक और विचारक भी थे और हिन्दी व अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छा अधिकार रखते थे।
- चौधरी चरण सिंह ने ‘अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी’, ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ जैसी अनेक पुस्तकों का लेखन भी किया। उनकी इन पुस्तकों को अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है।
- चौधरी साहब ने मण्डल आयोग और शाह कमीशन का गठन किया था।
- उनकी कोई विशेष सम्पत्ति नहीं थी। उनके निधन के पश्चात उनके बैंक में मात्र 5000 ₹ थे।
- वे घण्टो मंच पर गोल तकियों पर बैठ कर भाषण करते थे, जिसमें वे देश-विदेश के बड़े आँकड़े देते थे।
- अपने एकमात्र पुत्र अजीत सिंह को इंजीनियरिंग की आई आई टी खड़गपुर में कराने हेतु उन्होंने अपनी जमीन भी बेच दी थी, जो कालान्तर में अमेरिका में एक जाने माने कम्प्यूटर इंजीनियर रहे। बाद में वे केन्द्र में अनेकों बार कैबिनेट मन्त्री भी रहे।
- उनका पोता जयन्त सिंह आजकल राज्यसभा सांसद है और केन्द्र में मन्त्री है।
- चौधरी चरण सिंह की स्मृति में उनके जन्मदिन 23 दिसम्बर को प्रति वर्ष ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- भारत के कृषक वर्ग की वर्षों से चली आ रही माँग पर इसी वर्ष भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया है।
- भारतीय इतिहास में चौधरी चरण सिंह का नाम प्रधानमंत्री से ज़्यादा एक ईमानदार और बुद्धिजीवी किसान नेता के रूप में याद किया जाता है। उनकी ईमानदारी और स्पष्टवादिता के किस्से ग्रामीणों में आज भी याद किये जाते हैं।
- शुभ राष्ट्रीय किसान दिवस!!
लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.