7
हरिद्वार : ब्रह्मपुरी स्थित श्री वशिष्ठ दूधाधारी सप्तऋषि आश्रम में परम पूज्य गुरुदेव महामंडलेश्वर श्री नृसिंह दास महाराज दूधाधारी वाले की 16वीं वार्षिक पुण्यतिथि मनाई गई । कार्यक्रम की अध्यक्षता परम पूज्य बाबा हठयोगी महाराज नेकी कार्यक्रम का संचालन दूधाधारी सप्तऋषि वशिष्ठ आश्रम आश्रम के महंत जयराम दास महाराज ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के परमाध्यक्ष परम विभूषित श्री महंत रघुवीर दास जी महाराज ने कहा जहां संतों का वास हो वह स्थान स्वयं ही तीर्थ हो जाता है। एक बार को अगर भगवान रूठ जाए तो गुरु की शरण में जाने से मनुष्य को ठोर मिल सकती है। किंतु अगर गुरु रूठ जाये तो कहीं ठोर नहीं चाहे जग छूटे या रब रूठे पर गुरु मेरा ना रूठे क्योंकि अगर रब रूठ सकता है तो गुरु की शरण में जाने से भगवान को मनाने का उपाय गुरु की युक्ति के माध्यम से हो सकता है। किंतु अगर गुरु रूठ गए तो उन्हें मनाने की कोई युक्ति मुक्ति नहीं।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री साध्वी महंत रामदास महाराज ने कहा गुरु चरणों की पावन रज मनुष्य के भाग्य का उदय कर देती है । गुरु की शरण भक्तों के जीवन को धन्य कर देती है। परम पूज्य गुरुदेव महामंडलेश्वर श्री नृसिंह दास जी महाराज ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे उनके ज्ञान की छत्रछाया आज भी भक्तों पर बनी हुई है । इस अवसर पर बोलते हुए महंत जयराम दास जी महाराज ने कहा भगवान राम की पावन शरण देने वाले गुरु ही होते हैं। अपने मन में शीतलता धारण करो भगवान राम माता वैदेही द्वारा स्थापित परंपरा का पालन करते हुए अपने जीवन को सत्यकर्मों के माध्यम से कल्याण की ओर ले जाओ भगवान राम का नाम लिखने से जब पत्थर तैर सकते हैं तो यह नसवान जीवन भी राम नाम की गाथा गाने से तैर कर भवसागर पार हो सकता है। संतो और गुरुजनों की संगत मनुष्य के भाग्य का उदय करती है। हमारे धर्म ग्रंथ हमें कल्याण के साथ-साथ सत्य की राह दिखाते हैं। अगर अपने अंतर्मन में द्वेष भाव का बीज रोपोगे तो जग हसाई के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। अगर भक्ति और भजन अपने संस्कारों में अपने जीवन की शैली में धारण करोगे तो तुम्हारे पितरों का तो तर्पण हो ही जाएगा। तुम्हारा यह मानव जीवन भी सफल हो जाएगा।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर लक्ष्मण दास महाराज, श्री महंत गोविंद दास महाराज, श्री महंत जय रामदास महाराज, श्री महंत रघुवीर दास महाराज, महंत राजकुमार दास महाराज, महंत बिहारी शरण महाराज, स्वामी अंकित शरण महाराज, महंत नारायण दास पटवारी महाराज, महंत शंभू दास महाराज, महंत दशरथदास महाराज, महंत तुलसीदास महाराज, महंत भरत दास महाराज, कोतवाल रामदास महाराज, कोतवाल धर्मदास महाराज उपस्थिति रहे ।