देहरादून। उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों में आई आपदाओं के बीच पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन) सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि सरकार की अदूरदर्शिता और सत्ता की ललक ने प्रदेश को खतरे में डाल दिया है।
कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में धस्माना ने कहा, “आज पूरा उत्तराखंड आपदा की चपेट में है। उत्तरकाशी से लेकर चंपावत तक भूस्खलन, बादल फटना, पुल टूटना और मार्ग अवरुद्ध होना आम बात हो चुकी है। बावजूद इसके सरकार पंचायत चुनाव कराने में जुटी है, जो सीधे-सीधे जनता की जान से खिलवाड़ है।”
उन्होंने बताया कि प्रदेश के अधिकांश पर्वतीय जिलों में लगातार हो रही बारिश से सड़कें बंद हैं। बड़कोट (उत्तरकाशी) में बादल फटने, गुमखाल (पौड़ी) में भारी भूस्खलन, कोटद्वार-नजीबाबाद मार्ग पर पुलिया टूटने जैसे हादसे इस बात के संकेत हैं कि हालात बेहद संवेदनशील हैं। इसके बावजूद चुनाव कराना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
धस्माना ने कहा कि पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने समय पर चुनाव नहीं कराए और असंवैधानिक रूप से पूर्व प्रधानों को ही प्रशासक बनाकर सत्ता चलाई। उन्होंने आरोप लगाया कि जब हाईकोर्ट की फटकार पड़ी, तब आनन-फानन में चुनाव की घोषणा कर दी गई। इतना ही नहीं, सरकार ने आरक्षण रोस्टर को ही शून्य कर दिया, जिससे विवाद खड़ा हुआ और लोग न्यायालय की शरण में गए।
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट कहा कि “अगर इन हालातों में चुनाव के कारण किसी भी व्यक्ति की जान जाती है, तो उसके लिए पूरी तरह से राज्य सरकार और भाजपा जिम्मेदार होगी।”
धस्माना ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को साफ शब्दों में चेताया है कि “आपदा के बीच चुनाव कराने की जिद से अगर जन हानि हुई तो इसकी जवाबदेही भाजपा सरकार की होगी।”