कोटद्वार : कोर्ट के आदेश पर पिज्जा अंकल हुआ बंद, लंबे समय से नहीं दिया था किराया, एडवोकेट शरद चंद गुप्ता ने दी जानकारी

by doonstarnews

कोटद्वार : लालबत्ती चौक के निकट स्थित “पिज्जा अंकल” पिज्जा सेंटर को कोर्ट के आदेश के बाद आज खाली करा दिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता शरद चंद गुप्ता ने बताया कि ये दुकान कुछ वर्ष पहले शिप्रा और मोनिका निवासी गोविंद नगर द्वारा वीरेंद्र पाल निवासी बिजनौर को पिज्जा अंकल नाम से एक पिज्जा स्टोर खोलने के लिए दी गई थी। किरायेनामे के शर्तों के अनुसार जिसका काफी समय से किराया नहीं दिया गया था। जिसके बाद ये मामला कोर्ट में पहुंचा। और कोर्ट ने किरायेदार को अपना कब्जा हटाकर उसका शान्तिपूर्वक कब्जा वादीगण यानी दुकान मालिक को सौंपने और बकाया किराया एवं हर्जाना इस्तेमाली मुव० 66,125/-रु० (छियासठ हजार एक सौ पच्चीस रुपये) प्रतिमाह की दर से दावा दायर करने के दिनांक से कब्जा दिये जाने की तिथि तक, वादीगण को अदा करने के आदेश जारी किए। वरिष्ठ अधिवक्ता शरद चंद गुप्ता ने बताया कि इस मामले में 05-05-2025- पत्रावली कोर्ट में पेश हुई। पुकार पर डिक्रीदार की ओर से अधिवक्ता शरत चन्द्र गुप्ता उपस्थित हुए।

निर्णीत ऋणी यानी किरायेदार की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। डिक्रीदार की ओर से प्रार्थना पत्र में बताया गया कि किरायेदार को प्रेषित समन / नोटिस तामील होने के बावजूद विपक्षी द्वारा विवादित सम्पत्ति / दुकान को न तो खाली किया गया है और न ही अवशेष किराया आदि, अदा किया गया है। अतः विपक्षी को न्यायहित में प्रार्थीगण के स्वामित्व के भवन भाग से बेदखल कर कब्जा दिलाये जाने एवं अवशेष धनराशि के लिए विपक्षी के विरुद्ध वसूली प्रपत्र जारी करने की प्रार्थना की गयी। जिसके बाद दिनांक 02-05-2025 को दिए गए पते पर समन तामिली के लिए निवासी मार्फत मैसर्स पिज्जा अंकल कैलाश आर्केट कच्ची आदत नजीबाबाद रोड कोटद्वार गया तो वीरेन्द्र पाल पुत्र हरदयाल सिह के बारे में कर्मचारी द्वारा बताया गया कि यहां पर नहीं है। बाहर गये हुए हैं। कर्मचारी द्वारा नोटिस लेने से मना किया। नोटिस की एक प्रति मुख्य दरवाजें पर चस्पा कर तामील की गयी। गवाह के हस्ताक्षर नोटिस की प्रति पर अंकित करवाये गये।

उक्त आदेशिका वाहक की आख्या से स्पष्ट है कि निर्णीत ऋणी यानी किरायेदार को मामले की पूर्ण जानकारी है और उसके मामले की समन की प्रति आदेशिका वाहक द्वारा उसके कर्मचारी को दी गयी जिसने लेने से मना किया तब नोटिस की एक प्रति निर्णीत ऋणी के मुख्य दरवाजें पर चस्पा कर तामील की गयी तथा समन की प्रति पर गवाह के हस्ताक्षर करवाये गये। लेकिन निर्णीत ऋणी की ओर से प्रार्थना पत्र के विरुद्ध कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गयी और न ही उसकी ओर से कोई उपस्थित ही हुआ है। वैसे भी पूर्व में लघुवाद निर्णीत ऋणी के विरुद्ध एकपक्षीय रुप से निर्णीत किया गया था। अतः उपरोक्त परिस्थितियों में डिक्रीदार यानी दुकान मालिक का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया तथा निर्णीत ऋणी के विरुद्ध प्रश्नगत किरायेदारी वाली सम्पत्ति/दुकान खाली कराने बावत बेदखली परवाना जारी किया गया। जिसके बाद आज दुकान खाली करा ली गई।

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